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Showing posts from March, 2024

पति पत्नी के आपसी विवाद से समाजिक उथलपुथल

 परिवारिक विवाद 21 वी सदी के इस दौर पर आम चुनौती बनकर उभरी है l 

RTE अध्याय 2- निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार

 अध्याय 2- निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (1) छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु के प्रत्येक बालक को, जिसमें धारा 2 के खंड (घ) या खंड (ड) में निर्दिष्ट कोई बालक भी सम्मिलित है, उसकी प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी आस-पास के विद्यालय में निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार होगा। (2) उपधारा (1) के प्रयोजन के लिए, कोई बालक किसी प्रकार की फीस या ऐसे प्रभार या व्यय का संदाय करने के लिए दायी नहीं होगा, जो प्रारंभिक शिक्षा लेने और पूरी करने से उसे निवारित करे। (3) धारा 2 के खंड (डड) के उपखंड (अ) में निर्दिष्ट किसी निशक्त बालक को, निशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार सरंक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (1996 का 1) के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, और धारा 2 के खंड (डड) के उपखंड (आ) और उपखंड (इ) में निर्दिष्ट किसी बालक को निशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के वैसे ही अधिकार प्राप्त होंगे जो निशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 के अध्याय 5 के उपबंधों के अधीन निशक्त बालकों को प्राप्त हैं परं

RTE अध्याय 1- संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ

अध्याय 1- संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 है । इसका विस्तार जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर होगा। यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे। संविधान के अनुच्छेद 29 और अनुच्छेद 30 के उपबंधों के अधीन रहते हुए इस अधिनियम के उपबंध बालकों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार प्रदान किए जाने के संबंध में लागू होंगे। इस अधिनियम की कोई बात मदरसों, वैदिक पाठशालाओं और मुख्यत धार्मिक शिक्षा प्रदान करने वाली शैक्षणिक संस्थाओं को लागू नहीं होगी। परिभाषाएं इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,- (क) ‘समुचित सरकार° से, – i. केन्द्रीय सरकार या ऐसे संघ राज्यक्षेत्र के, जिसमें कोई विधान-मंडल नहीं है, प्रशासक द्वारा स्थापित, उसके स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन किसी विद्यालय के संबंध में, केन्द्रीय सरकार; ii. उपखंड (i) में विनिर्दिष्ट विद्यालय से भिन्न,- (क) किसी राज्य के राज्यक्षेत्र के भीतर स्थापित किसी विद्यालय के संबंध में, राज्य सर

शिक्षा का अधिकार एक मूल अधिकार

 शिक्षा का अधिकार संविधान (छियासीवां संशोधन) अधिनियम, 2002 ने भारत के संविधान में अंत स्‍थापित अनुच्‍छेद 21-क, ऐसे ढंग से जैसा कि राज्‍य कानून द्वारा निर्धारित करता है, मौलिक अधिकार के रूप में छह से चौदह वर्ष के आयु समूह में सभी बच्‍चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है। निशुल्‍क और अनिवार्य बाल शिक्षा (आरटीई) अधिनियम, 2009 में बच्‍चों का अधिकार, जो अनुच्‍छेद 21क के तहत परिणामी विधान का प्रतिनिधित्‍व करता है, का अर्थ है कि औपचारिक स्‍कूल, जो कतिपय अनिवार्य मानदण्‍डों और मानकों को पूरा करता है, में संतोषजनक और एकसमान गुणवत्‍ता वाली पूर्णकालिक प्रांरभिक शिक्षा के लिए प्रत्‍येक बच्‍चे का अधिकार है। अनुच्‍छेद 21-क और आरटीई अधिनियम 1 अप्रैल, 2010 को लागू हुआ। आरटीई अधिनियम के शीर्षक में ''निशुल्‍क और अनिवार्य'' शब्‍द सम्मिलित हैं। 'निशुल्‍क शिक्षा' का तात्‍पर्य यह है कि किसी बच्‍चे जिसको उसके माता-पिता द्वारा स्‍कूल में दाखिल किया गया है, को छोड़कर कोई बच्‍चा, जो उचित सरकार द्वारा समर्थित नहीं है, किसी किस्‍म की फीस या प्रभार या व्‍यय जो प्रारंभिक शिक्ष

सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 4 यानि लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं

विधिक शब्दावली का दैनिक जीवन में उपयोग अपेक्षाकृत कम होने की वजह से, हममें से अधिकांश देश की संसद द्वारा बनाए गए अधिनियम और सम्बंधित नियमों को समझ नहीं पाते है I इसमें भाषा रुकावट तो बनती ही है साथ में कानून के जानकारों की सुलभ उपलब्धता नहीं होने की वजह से विधि का विशाल लोकहित में प्रयोग नहीं हो पा रहा है I यह डिजिटल मंच इन्ही चुनौतिओं को दूर करने में आपकी सहायता करती है I आप इस लेख के अवलोकन पश्चात हमें बताएं आप किन रुचिकर विषयों पर संवाद करना चाहते है I आइये आज हम जाने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 4 के बारे में... यह अधिनियम के अध्याय 2 में वर्णित है जिसका विषय है सूचना का अधिकार और लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं सूचना के अधिकार अधिनियम , 2005 की धारा 4 लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं :- (1) प्रत्येक लोक प्राधिकारी , - (क) अपने सभी अभिलेख को सम्यक् रूप से सूचीपत्रित और अनुक्रमणिकाबद्ध ऐसी रीति और रूप में रखेगा , जो इस अधिनियम के अधीन सूचना के अधिकार को सुकर बनाता है और सुनिश्चित करेगा कि ऐसे सभी अभिलेख , जो कंप्यूटरीकृत्त किए जाने के लिए समुचित हैं , युक्तियुक्त समय के

जिला एवं सत्र न्यायालय बिलासपुर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

वर्तमान न्यायधानी बिलासपुर ब्रिटिश काल में छत्तीसगढ़ संभाग में शामिल था और उस संभाग के आयुक्त की देखरेख में था। यह उस डिवीजन के डिविजनल जज के अधिकार क्षेत्र में था जो सत्र न्यायाधीश कहलाता था। सभी अदालतें नागपुर में न्यायिक आयुक्त के अधीन थीं। पूर्व में सक्ती और रायगढ़ तथा उत्तर में रीवा के देशी राज्यों में रेलवे सीमा के भीतर और सक्ति , रायगढ़ तथा कवर्धा के देशी राज्यों में यूरोपीय ब्रिटिश विषयों पर भी उनका अधिकार क्षेत्र था। उनके पास पूर्ण शक्तियों का प्रयोग करने वाले चार सहायकों का स्वीकृत स्टाफ था I जिला पंचायत कार्यालय बिलासपुर के ठीक सामने स्थित जिला एवं सत्र न्यायालय बिलासपुर में आज दिनांक 14 मार्च 2024 को जिला अधिवक्ता संघ निर्वाचन 2024 की मतगणना संपन्न करा लिया जाएगा जिसके पश्चात् जिला अधिवक्ता संघ अपने कार्यकारिणी सदस्यों के साथ इसकी दशा और दिशा तय करने में अपनी महती भूमिका निभाएँगे ...     कोरबा एवं  जांजगीर-चांपा राजस्व जिले में स्थानांतरण  जिले को तीन तहसीलों बिलासपुर , जांजगीर और मुंगेली में विभाजित किया गया था , प्रत्येक तहसील एक सहायक के अधीन एक सब-डिवीज़न थी , जहाँ स

वन स्टॉप सेंटर : सामान्य जानकारी

सामान्य पूर्व धारणा : हम स्वयं या हमारे आसपास कई ऐसे परिवार है जो किन्ही कारणों से घरेलू विवादों और आपसी सामंजस्य के अभाव में अपनी वैवाहिक जीवन से त्रस्त है. पीड़ित पक्ष के चुप्पी का कारण परिस्थितिजन्य होने के साथ-साथ पुलिस या अन्य संबंधित शिकायतों से उनके सार्वजनिक  जीवन में एकांतता के अभाव की अनायास शंका या अति सामाजिक प्रतिष्ठा से निजी जीवन के रिश्ते में हुई खटास से बदनामी का डर होता है. ऐसे प्रकरण में आरोपी ( प्रत्यर्थी) इस डर का नाजायज फायदा उठाने का प्रयास करता है. उन्हें यह भ्रम होता है कि उनके कृत्यों को उसके आसपास की रहवासी आम जनता हर बार नजरंदाज करते  रहेंगे, ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम एक आम जागरूक नागरिक की भूमिका में समाज को विधि द्वारा स्थापित संस्थानों से परिचय कराना चाहते है जिससे जनमानस को ऐसे संस्थानों का महत्व पता चले. शुरुआत करते है ' वन स्टॉप सेंटर' से...     हिंसा से प्रभावित महिलाओं को सहायता प्रदान करने के लिए 01 अप्रैल , 2015 से वन स्टॉप सेंटर/ ओएससी/साक्षी केंद्र स्थापित करने की स्कीम क्रियान्वित कर रहा है। स्कीम का उद्देश्य हिंसा से प्रभावित महिलाओ

हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955

 Legal Advocacy Programme (www.helpadvocacy.com) 2. यह अधिनियम लागू है ऐसे किसी भी व्यक्ति को जो हिन्दू धर्म के किसी भी रूप या विकास के अनुसार, जिसके अन्तर्गत वीरशैव, लिंगायत अथवा ब्रह्मो समाज, प्रार्थना समाज या आर्यसमाज के अनुयायी भी आते हैं; धर्मतः हिन्दू हो; 3. परिभाषाएं . इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो- (क) " रूढ़ि " और " प्रथा ", पद ऐसे किसी भी नियम का संज्ञान कराते हैं जिसने दीर्घकाल तक निरन्तर और एकरूपता से अनुपालित किए जाने के कारण किसी स्थानीय क्षेत्र, जनजाति, समुदाय, समूह या कुटुम्ब के हिन्दुओं में विधि का बल अभिप्राप्त कर लिया हो : (ग) " पूर्ण-रक्त " और "अर्ध रक्त" कोई भी दो व्यक्ति एक दूसरे से पूर्ण रक्त से सम्बन्धित तब कहे जाते हैं जब कि वे एक ही पूर्वज से एक ही पत्नी द्वारा अवजनित हों और अर्ध रक्त से तब जब कि वे एक ही पूर्वज से किन्तु भिन्न पलियों द्वारा अवजनित हों; (घ) " एकोदर-रक्त " -दो व्यक्ति एक से एकोदर रक्त से सम्बन्धित तब कहे जाते हैं जब कि वे एक ही पूर्वजा से किन्तु भिन्न पतियों द्वारा अवजन

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