Skip to main content

वन स्टॉप सेंटर : सामान्य जानकारी

सामान्य पूर्व धारणा : हम स्वयं या हमारे आसपास कई ऐसे परिवार है जो किन्ही कारणों से घरेलू विवादों और आपसी सामंजस्य के अभाव में अपनी वैवाहिक जीवन से त्रस्त है. पीड़ित पक्ष के चुप्पी का कारण परिस्थितिजन्य होने के साथ-साथ पुलिस या अन्य संबंधित शिकायतों से उनके सार्वजनिक  जीवन में एकांतता के अभाव की अनायास शंका या अति सामाजिक प्रतिष्ठा से निजी जीवन के रिश्ते में हुई खटास से बदनामी का डर होता है. ऐसे प्रकरण में आरोपी (प्रत्यर्थी) इस डर का नाजायज फायदा उठाने का प्रयास करता है. उन्हें यह भ्रम होता है कि उनके कृत्यों को उसके आसपास की रहवासी आम जनता हर बार नजरंदाज करते रहेंगे, ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम एक आम जागरूक नागरिक की भूमिका में समाज को विधि द्वारा स्थापित संस्थानों से परिचय कराना चाहते है जिससे जनमानस को ऐसे संस्थानों का महत्व पता चले. शुरुआत करते है 'वन स्टॉप सेंटर' से...   

हिंसा से प्रभावित महिलाओं को सहायता प्रदान करने के लिए 01 अप्रैल, 2015 से वन स्टॉप सेंटर/ ओएससी/साक्षी केंद्र स्थापित करने की स्कीम क्रियान्वित कर रहा है। स्कीम का उद्देश्य हिंसा से प्रभावित महिलाओं को समेकित सेवाएं सुलभ कराना है, जिनमें निम्न सेवाएं शामिल हैं।

1.    चिकित्सा सहायता,

2.    पुलिस सहायता,

3.    कानूनी सहायता / मामला प्रबंधन,

4.     मनो-सामाजिकं परामर्श,

5.    अस्थायी सहायता

घरेलु हिंसा अधिनियम में वर्णित व्यथित व्यक्तिसे अभिप्राय कोई ऐसी महिला है जो प्रत्यर्थी की घरेलू नातेदारी में है या रही है और जिसका अभिकथन है कि वह प्रत्यर्थी द्वारा किसी घरेलू हिंसा का शिकार रही है  "प्रत्यर्थीसे कोई वयस्क पुरुष अभिप्रेत है जो व्यथित व्यक्ति (महिला) की घरेलू नातेदारी में है या रहा है और जिसके विरुद्ध व्यथित व्यक्ति (महिला) ने, इस अधिनियम के अधीन कोई अनुतोष चाहा है:

सवाल : क्या व्यथित महिला के अलावा भी अन्य घर का सदस्य शिकायत दर्ज करा सकता है?

जवाब : हाँ !  कोई व्यथित पत्नी या विवाह की प्रकृति की किसी नातेदारी में रहने वाली कोई महिला भी पति या पुरुष भागीदार के किसी नातेदार के विरुद्ध शिकायत फाइल कर सकेगी; अर्थात नातेदारी भी घरेलु हिंसा की शिकायत कर सकता है l 

सवाल : घरेलू नातेदारी कौन होंगे ?

जवाब : "घरेलू नातेदारीसे ऐसे दो व्यक्तियों के बीच नातेदारी अभिप्रेत है, जो साझी गृहस्थी में एक साथ रहते हैं या किसी समय एक साथ रह चुके हैं, जब वे, समरक्तता, विवाह द्वारा या विवाह, दत्तक ग्रहण की प्रकृति की किसी नातेदारी द्वारा संबंधित हैं या एक अविभक्त कुटुंब के रूप में एक साथ रहने वाले कुटुम्ब के सदस्य हैं l

सवाल : घरेलू घटना रिपोर्ट क्या होती है क्या इसकी प्रकृति/प्रभाव पुलिस थाने में प्रथम सुचना रिपोर्ट से अलग होता है ?

जवाब : घरेलू घटना रिपोर्ट" से ऐसी रिपोर्ट अभिप्रेत है जो, किसी व्यथित व्यक्ति से घरेलू हिंसा की किसी शिकायत की प्राप्ति पर, विहित प्ररूप में तैयार की गई हो l

सवाल : चिकित्सीय सुविधा से क्या अभिप्राय

जवाब : चिकित्सीय सुविधासे ऐसी सुविधा अभिप्रेत है जो इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए, राज्य सरकार द्वारा चिकित्सीय सुविधा अधिसूचित की जाए; अर्थात यह कह सकते है की यह सरकार या अधिकारिक सेवाप्रदाता का प्रारंभिक कर्तव्य होगा की वह व्यथित महिला को यथासंभव चिकित्सा मुहैया कराएगा l

सवाल : घरेलू हिंसा के सामान्य परिभाषा व लक्षण  -

जवाब :(क) व्यथित व्यक्ति के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, अंग की या चाहे उसकी मानसिक या शारीरिक भलाई की अपहानि करता है, या उसे कोई क्षति पहुंचाता है या उसे संकटापन्न करता है या उसकी ऐसा करने की प्रकृति है और जिसके अंतर्गत शारीरिक दुरुपयोग, लैंगिक दुरुपयोग, मौखिक और भावनात्मक दुरुपयोग और आर्थिक दुरुपयोग कारित करना भी है; या

(ख) किसी दहेज या अन्य संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति के लिए किसी विधिविरुद्ध मांग की पूर्ति के लिए उसे या उससे संबंधित किसी अन्य व्यक्ति को प्रपीड़ित करने की दृष्टि से व्यथित व्यक्ति का उत्पीड़न करता है या उसकी अपहानि करता है या उसे क्षति पहुंचाता है या संकटापन्न करता है; या

(ग) खंड (क) या खंढ (ख) में वर्णित किसी आचरण द्वारा व्यथित व्यक्ति या उससे संबंधित किसी व्यक्ति पर धमकी का प्रभाव रखता है; या

(घ) व्यथित व्यक्ति को, अन्यथा क्षति पहुंचाता है या उत्पीड़न कारित करता है, चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक ।

सवाल :शारीरिक दुरुपयोग में कौन से कार्य या आचरण अभिप्रेत है ?

जवाब : "शारीरिक दुरुपयोग" से ऐसा कोई कार्य या आचरण अभिप्रेत है जो ऐसी प्रकृति का है, जो व्यथित व्यक्ति को शारीरिक पीड़ा, अपहानि या उसके जीवन, अंग या स्वास्थ्य को खतरा कारित करता है या उससे उसके स्वास्थ्य या विकास का ह्रास होता है और इसके अंतर्गत हमला, आपराधिक अभित्रास और आपराधिक बल भी शामिल है;

 सवाल : लैंगिक दुरुपयोग में कौन से कार्य या आचरण अभिप्रेत है ?

जवाब : "लैंगिक दुरुपयोग" से लैंगिक प्रकृति का कोई आचरण अभिप्रेत है, जो महिला की गरिमा का दुरुपयोग, तिरस्कार करता है या उसका अन्यथा अतिक्रमण करता है; अपमान,

सवाल : मौखिक और भावनात्मक दुरुपयोग" में कौन से कार्य या आचरण अभिप्रेत है ?

जवाब : "मौखिक और भावनात्मक दुरुपयोग" के अन्तर्गत निम्नलिखित हैं,-

(क) अपमान, उपहास, तिरस्कार, गाली और विशेष रूप से संतान या नर बालक के न होने के संबंध में अपमान या उपहास; और

(ख) किसी ऐसे व्यक्ति को शारीरिक पीड़ा कारित करने की लगातार धमकियां देना, जिसमें व्यथित व्यक्ति हितबद्ध है;

सवाल : आर्थिक दुरुपयोग में कौन से कार्य या आचरण अभिप्रेत है ?

जवाब :आर्थिक दुरुपयोग" के अंतर्गत निम्नलिखित हैं:-

(क) ऐसे सभी या किन्हीं आर्थिक या वित्तीय संसाधनों, जिनके लिए व्यथित व्यक्ति किसी विधि या रूढ़ि के अधीन हकदार है, चाहे वे किसी न्यायालय के किसी आदेश के अधीन या अन्यथा संदेय हों या जिनकी व्यथित व्यक्ति, किसी आवश्यकता के लिए, जिसके अंतर्गत व्यथित व्यक्ति और उसके बालकों, यदि कोई हों, के लिए घरेलू आवश्यकताएं भी हैं, अपेक्षा करता है, किन्तु जो उन तक सीमित नहीं हैं, स्त्रीधन, व्यथित व्यक्ति के संयुक्त रूप से या पृथक्तः स्वामित्वाधीन संपत्ति, साझी गृहस्थी और उसके रखरखाव से संबंधित भाटक का संदाय, से वंचित करना;

ख) गृहस्थी की चीजबस्त का व्ययन, आस्तियों का चाहे वे जंगम हों या स्थावर, मूल्यवान वस्तुओं, शेयरों, प्रतिभूतियों, बंधपत्रों और उसके सदृश या अन्य संपत्ति का, जिसमें व्यथित व्यक्ति कोई हित रखता है या घरेलू नातेदारी के आधार पर उसके प्रयोग के लिए हकदार है या जिसकी व्यथित व्यक्ति या उसकी संतानों द्वारा युक्तियुक्त रूप से अपेक्षा की जा सकती है या उसके स्त्रीधन या व्यथित व्यक्ति द्वारा संयुक्ततः या पृथक्त: धारित किसी अन्य संपत्ति का कोई अन्य संक्रामण; और

(ग) ऐसे संसाधनों या सुविधाओं तक, जिनका घरेलू नातेदारी के आधार पर कोई व्यथित व्यक्ति, उपयोग या उपभोग करने के लिए हकदार है, जिसके अंतर्गत साझी गृहस्थी तक पंहुच भी है, लगातार पहुंच के लिए प्रतिषेध या निर्बन्धन ।

सवाल :यह कैसे निर्धारित होगा की वाकई व्यथित महिला के विरुद्ध घरेलु हिंसा का गठन किया गया है l

जवाब : यह अवधारित करने के प्रयोजन के लिए कि क्या प्रत्यर्थी का कोई कार्य, लोप या किसी कार्य का करना या आचरण इस धारा के अधीन घरेलू हिंसाका गठन करता है, मामले के संपूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार किया जाएगा।

सवाल : संज्ञान और सबूत के संबंध में जरुरी धारा जिन्हें व्यथित महिला याद रखें ?

जवाब :

(1) दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी धारा 31 की उपधारा (1) के अधीन अपराध संज्ञेय और अजमानतीय होगा ।

(2) व्यथित व्यक्ति के एकमात्र परिसाक्ष्य पर न्यायालय यह निष्कर्ष निकाल सकेगा कि धारा 31 की उपधारा (1) के अधीन अभियुक्त द्वारा कोई अपराध किया गया है ।

 

 

 

Comments

Followers

बासी खबर की ताजगी

मंत्रिपरिषद की बैठक , दिनांक 09 जुलाई 2024

छत्तीसगढ़ प्रदेश के  मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में दिनांक 09 जुलाई 2024 को मंत्रालय महानदी भवन में मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित हुई। बैठक में निम्नानुसार महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए - मंत्रिपरिषद की बैठक में निर्णय लिया गया कि राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग तथा वन और जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा वन अधिकार अधिनियम के तहत व्यक्तिगत्त वन अधिकार पत्रधारकों की मृत्यु होने पर वारिसानों के नाम पर काबिज वन भूमि का हस्तांतरण राजस्व या वन अभिलेखों में दर्ज करने संबंधित कार्यवाही के लिए प्रक्रिया प्रारूप का अनुमोदन किया गया। इससे भविष्य में नक्शा का जिओ रिफ्रेंसिंग होने से भूखण्ड का आधार नंबर भी लिया जाएगा। इसका उपयोग नामांतरण, सीमांकन, बटवारा आदि में किया जाएगा। प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था के लिए मंत्रिपरिषद की बैठक में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को छत्तीसगढ़ राज्य में पूर्ण रूप से लागू करने का निर्णय लिया गया। नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा 5वीं तक बच्चों को स्थानीय भाषा-बोली में शिक्षा दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ह

विभागीय जाँच प्रक्रिया ०१

  विभागीय जाँच प्रक्रिया (Procedure of Department Inquiry) 1. विभागीय जाँच का प्रारम्भ- विभागीय जाँच हेतु जब कोई प्रकरण अनुशासनिक अधिकारी द्वारा तैयार किया जाता है। तब आरम्भिक स्थिति में तीन महत्वपूर्ण घटनाएँ घटित होता है. जो इस प्रकार है-  (1) आरोप पत्र तैयार किया जाना- विभागीय जाँच के प्रारंभ करने की जो प्रथम महत्वपूर्ण कार्यवाही है, वह अनुशासनिक अधिकारी द्वारा, जिस कदाचरण हेतु विभागीय जाँच का निर्णय लिया गया है. आरोप-पदों का तैयार किया जाना है। आरोप पत्र तैयार करना 'सी.जी.सी.एस.सी. सी.ए. नियम के अधीन एक आज्ञापक (Mandatory) कार्यवाही है। इस प्रकार सी.जी.सी.एस.सी.सी.ए. नियम के नियम 14 (3) में अपचारी अधिकारी को एक आरोप पत्र जारी करने का प्रावधान किया गया है, जिसमें मुख्यतया निम्न ब्यौरे होंगे-  (ⅰ) लगाए गए आरोप या आरोपों का विवरण( Discription of Charges ), (in) आरोपों पर अभिकथन ( Statement of Allegations ),  (ii) अभिलेखीय साक्ष्यों की सूची ( List of documentary evidence ),  (iv) साक्षियों की सूची ( List of witnesses )। (2) अपचारी अधिकारी को आरोप पत्र जारी किया जाना - सी.जी.सी.एस.

बिलासपुर न्यायालय हेतु न्यायमित्र

  प्रधान न्यायाधीश के न्यायालय हेतु अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश के न्यायालय हेतु न्यायमित्र की पैनल सूची श्री अब्दुल सलीम कुरैशी श्रीमती नवनीता पाण्डेय श्री रमेश मिश्रा श्री शिवानंद घेण्डे श्रीमती सुनीता ठाकुर श्रीमती अजिता खरे श्री प्रशांत गनोरकर श्री लखन लाल महिलांग श्रीमती मौसमी जांगड़े श्रीमती आलोक सरकार श्री अवधेश सोनी कुमारी हेमलता सुश्री स्वर्णप्रभा महापात्र श्री रविशंकर तिवारी श्री लक्ष्मीनारायण विश्वकर्मा श्रीमती नीता चौबे सुश्री सरोज चौरसिया श्री आदर्श कुमार गुप्ता श्रीमती कामना तिवारी श्री देवेन्द्र कुमार जांगड़े श्रीमती प्रभा शर्मा श्री प्रवीन सिंह ठाकुर श्रीमती उमा साही श्री रज्जाक खान श्रीमती वी० श्रद्धा राव श्री भरत लोनिया श्री सतीष कुमार यादव श्री मनीश कुमार पाठक श्रीमती किरन मिश्रा श्रीमती नीलम सिंह श्रीमती रेशमा गुल खान श्री मनोज कुमार चौबे श्रीमती चित्रलेखा वर्मा श्रीमती मीनाक्षी राठौर सुश्री श्रद्धा तिवारी कुमारी शीतला खरे कुमारी गेस टण्डन श्रीमती फुलमनी गोयल श्री ज्योतिन्द्र उपाध्याय कुमारी निशा तोलवानी श्रीमती कविता आर्या श्री शिवशंकर साहू सुश्री मनीशा निर्मलकर श्री