विधिक शब्दावली का दैनिक जीवन में उपयोग अपेक्षाकृत कम होने की वजह से, हममें से अधिकांश देश की संसद द्वारा बनाए गए अधिनियम और सम्बंधित नियमों को समझ नहीं पाते है I इसमें भाषा रुकावट तो बनती ही है साथ में कानून के जानकारों की सुलभ उपलब्धता नहीं होने की वजह से विधि का विशाल लोकहित में प्रयोग नहीं हो पा रहा है I यह डिजिटल मंच इन्ही चुनौतिओं को दूर करने में आपकी सहायता करती है I आप इस लेख के अवलोकन पश्चात हमें बताएं आप किन रुचिकर विषयों पर संवाद करना चाहते है I आइये आज हम जाने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 4 के बारे में... यह अधिनियम के अध्याय 2 में वर्णित है जिसका विषय है सूचना का अधिकार और लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं सूचना के अधिकार अधिनियम , 2005 की धारा 4 लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं :- (1) प्रत्येक लोक प्राधिकारी , - (क) अपने सभी अभिलेख को सम्यक् रूप से सूचीपत्रित और अनुक्रमणिकाबद्ध ऐसी रीति और रूप में रखेगा , जो इस अधिनियम के अधीन सूचना के अधिकार को सुकर बनाता है और सुनिश्चित करेगा कि ऐसे सभी अभिलेख , जो कंप्यूटरीकृत्त किए जाने के लिए समुचित हैं , युक्तियुक्त समय के
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