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Political (राजनीतिक) Advocacy Programme

 यह राजनीति से संबंधित मुद्दों पर बातचीत का मंच है l

राजनीतिक व्यवस्था से व्यथित पक्षकार

  1. आम जनता / समुदाय 
  2. सक्षम पक्षकार 

 राजनितिक मुद्दे जैसे :

  1. राजनीति में मिडिया का सकारात्मक प्रभाव एवं मौलिक विश्लेषण l
  2. केंद्र की सरकार l
  3. प्रदेश की सरकार l
  4. निगम की सरकार l
  5. पंचायतीराज संस्थाए l
  6. लोकसभा एवं राज्यसभा में उठाए जाने योग्य मुद्दों पर चिन्तंन एवं आलेख l  
  7. न्यायपालिका और विधायिका का आपसी समन्वयन l 

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वन स्टॉप सेंटर : सामान्य जानकारी

सामान्य पूर्व धारणा : हम स्वयं या हमारे आसपास कई ऐसे परिवार है जो किन्ही कारणों से घरेलू विवादों और आपसी सामंजस्य के अभाव में अपनी वैवाहिक जीवन से त्रस्त है. पीड़ित पक्ष के चुप्पी का कारण परिस्थितिजन्य होने के साथ-साथ पुलिस या अन्य संबंधित शिकायतों से उनके सार्वजनिक  जीवन में एकांतता के अभाव की अनायास शंका या अति सामाजिक प्रतिष्ठा से निजी जीवन के रिश्ते में हुई खटास से बदनामी का डर होता है. ऐसे प्रकरण में आरोपी ( प्रत्यर्थी) इस डर का नाजायज फायदा उठाने का प्रयास करता है. उन्हें यह भ्रम होता है कि उनके कृत्यों को उसके आसपास की रहवासी आम जनता हर बार नजरंदाज करते  रहेंगे, ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम एक आम जागरूक नागरिक की भूमिका में समाज को विधि द्वारा स्थापित संस्थानों से परिचय कराना चाहते है जिससे जनमानस को ऐसे संस्थानों का महत्व पता चले. शुरुआत करते है ' वन स्टॉप सेंटर' से...     हिंसा से प्रभावित महिलाओं को सहायता प्रदान करने के लिए 01 अप्रैल , 2015 से वन स्टॉप सेंटर/ ओएससी/साक्षी केंद्र स्थापित करने की स्कीम क्रियान्वित कर रहा है। स्कीम का उद्देश्य हिंसा से प्रभावित महिलाओ

जिला एवं सत्र न्यायालय बिलासपुर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

वर्तमान न्यायधानी बिलासपुर ब्रिटिश काल में छत्तीसगढ़ संभाग में शामिल था और उस संभाग के आयुक्त की देखरेख में था। यह उस डिवीजन के डिविजनल जज के अधिकार क्षेत्र में था जो सत्र न्यायाधीश कहलाता था। सभी अदालतें नागपुर में न्यायिक आयुक्त के अधीन थीं। पूर्व में सक्ती और रायगढ़ तथा उत्तर में रीवा के देशी राज्यों में रेलवे सीमा के भीतर और सक्ति , रायगढ़ तथा कवर्धा के देशी राज्यों में यूरोपीय ब्रिटिश विषयों पर भी उनका अधिकार क्षेत्र था। उनके पास पूर्ण शक्तियों का प्रयोग करने वाले चार सहायकों का स्वीकृत स्टाफ था I जिला पंचायत कार्यालय बिलासपुर के ठीक सामने स्थित जिला एवं सत्र न्यायालय बिलासपुर में आज दिनांक 14 मार्च 2024 को जिला अधिवक्ता संघ निर्वाचन 2024 की मतगणना संपन्न करा लिया जाएगा जिसके पश्चात् जिला अधिवक्ता संघ अपने कार्यकारिणी सदस्यों के साथ इसकी दशा और दिशा तय करने में अपनी महती भूमिका निभाएँगे ...     कोरबा एवं  जांजगीर-चांपा राजस्व जिले में स्थानांतरण  जिले को तीन तहसीलों बिलासपुर , जांजगीर और मुंगेली में विभाजित किया गया था , प्रत्येक तहसील एक सहायक के अधीन एक सब-डिवीज़न थी , जहाँ स

सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 4 यानि लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं

विधिक शब्दावली का दैनिक जीवन में उपयोग अपेक्षाकृत कम होने की वजह से, हममें से अधिकांश देश की संसद द्वारा बनाए गए अधिनियम और सम्बंधित नियमों को समझ नहीं पाते है I इसमें भाषा रुकावट तो बनती ही है साथ में कानून के जानकारों की सुलभ उपलब्धता नहीं होने की वजह से विधि का विशाल लोकहित में प्रयोग नहीं हो पा रहा है I यह डिजिटल मंच इन्ही चुनौतिओं को दूर करने में आपकी सहायता करती है I आप इस लेख के अवलोकन पश्चात हमें बताएं आप किन रुचिकर विषयों पर संवाद करना चाहते है I आइये आज हम जाने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 4 के बारे में... यह अधिनियम के अध्याय 2 में वर्णित है जिसका विषय है सूचना का अधिकार और लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं सूचना के अधिकार अधिनियम , 2005 की धारा 4 लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं :- (1) प्रत्येक लोक प्राधिकारी , - (क) अपने सभी अभिलेख को सम्यक् रूप से सूचीपत्रित और अनुक्रमणिकाबद्ध ऐसी रीति और रूप में रखेगा , जो इस अधिनियम के अधीन सूचना के अधिकार को सुकर बनाता है और सुनिश्चित करेगा कि ऐसे सभी अभिलेख , जो कंप्यूटरीकृत्त किए जाने के लिए समुचित हैं , युक्तियुक्त समय के