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स्कूली बच्चों और नाबालिग युवाओं में नशीली दवाओं की मांग और मादक पदार्थों के उपयोग की समस्या विषयक पुनर्वास और जागरूकता हेतु राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीडीडीआर)


चित्रण: मनीषा यादव | दिप्रिंट

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने और मादक पदार्थों के उपयोग की समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीडीडीआर) को लागू कर रहा है। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसके तहत स्कूली बच्चों और नाबालिग युवाओं के पुनर्वास और जागरूकता के लिए निम्नलिखित कार्य किए गए हैं:

  1. नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) 15 अगस्त 2020 को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 272 चिन्हित संवेदनशील जिलों में शुरू किया गया था और अब इसे देश भर के सभी जिलों में विस्तारित कर दिया गया है। इस पहल का उद्देश्य मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, जिसमें उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों और स्कूलों पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह आश्रित व्यक्तियों की पहचान करने, अस्पतालों और पुनर्वास केंद्रों में परामर्श और उपचार सुविधाएं प्रदान करने और सेवा प्रदाताओं के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करने पर भी जोर देता है।
  2. अब तक एनएमबीए के तहत विभिन्न जमीनी गतिविधियों ने 14.79 करोड़ से अधिक लोगों को जागरूक किया है, जिनमें 4.96 करोड़ युवा और 2.97 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। अभियान ने 4.16 लाख से अधिक शैक्षणिक संस्थानों को शामिल किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसका संदेश देश भर के बच्चों और युवाओं तक पहुंचे। इसके अतिरिक्त, आंदोलन को और मजबूत करने के लिए 10,000 से अधिक समर्पित मास्टर वालंटियर्स (एमवी) की पहचान की गई है और उन्हें प्रशिक्षित किया गया है।
  3. नवचेतना मॉड्यूल (स्कूली बच्चों के लिए जीवन कौशल और नशीली दवाओं की शिक्षा पर एक नई चेतना) - शिक्षक प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित किया गया। नवचेतना मॉड्यूल का उद्देश्य स्कूलों में छात्रों के बीच नशीली दवाओं के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना और जीवन कौशल पर शिक्षा को बढ़ावा देना है।
  4. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 46 समुदाय आधारित सहकर्मी नेतृत्व हस्तक्षेप (सीपीएलआई) केंद्रों को सहायता प्रदान की जाती है। ये सीपीएलआई कमज़ोर और जोखिमग्रस्त बच्चों और किशोरों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, ताकि नशीली दवाओं के खिलाफ़ जागरूकता पैदा की जा सके और जीवन कौशल सिखाया जा सके।
  5. नशा मुक्ति के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन 14446 स्थापित की जा रही है, जिससे इस हेल्पलाइन के माध्यम से सहायता मांगने वाले व्यक्तियों को प्राथमिक परामर्श और तत्काल रेफरल सेवाएं प्रदान की जा सकें।

गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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