भारत में लालफीताशाही (Red Tapeism) एक ऐसी प्रशासनिक प्रणाली को दर्शाती है जिसमें सरकारी कार्य अत्यधिक नियमों, प्रक्रियाओं और दस्तावेज़ीकरण की वजह से धीमी गति से होते हैं। यह शब्द आमतौर पर नकारात्मक अर्थ में प्रयोग होता है और इसके कारण नागरिकों, उद्यमियों और कभी-कभी स्वयं अधिकारियों को भी भारी परेशानी होती है। छत्तीसगढ़ प्रदेश में हाल में कई राष्ट्रीय एजेंसियां भ्रष्टाचार के प्रकरणों में अन्वेषण कर रही है, तथाकथित प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों पर लगातार हो रही कार्यवाहियां यह दर्शाता है कि प्रशासनिक नक्सलवाद कई दशकों से छत्तीसगढ़ के सम्पदा का दोहन विधिविरुद्ध तरीके से प्रशासनिक अधिकारी कर रहें है.
लालफीताशाही के प्रमुख लक्षण:
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ब्यूरोक्रेटिक प्रक्रिया की अधिकता: किसी भी कार्य को करने के लिए अनेक स्तरों पर अनुमति लेनी पड़ती है।
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निर्णय लेने में विलंब: अधिकारी निर्णय लेने से बचते हैं या अत्यधिक दस्तावेज़ मांगते हैं।
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दस्तावेज़ों की अधिकता: फॉर्म भरने, प्रमाणपत्र देने, अनुमोदन लेने आदि के लिए कई दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है।
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अधिकारियों का असहयोग: कई बार सरकारी कर्मचारी नागरिकों को ठीक से मार्गदर्शन नहीं देते।
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भ्रष्टाचार की संभावना: जटिल प्रक्रियाओं के कारण नागरिकों को "काम जल्दी करवाने" के लिए रिश्वत देने की प्रवृत्ति बढ़ती है।
इसके दुष्परिणाम:
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सरकारी योजनाओं का लाभ समय पर नहीं मिल पाता।
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नवाचार और व्यवसाय को बढ़ावा नहीं मिल पाता।
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जनता का सरकार में विश्वास घटता है।
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गरीब और अनपढ़ नागरिकों के लिए यह एक बड़ी बाधा बन जाती है।
समाधान:
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डिजिटलीकरण: प्रक्रियाओं को ऑनलाइन करना ताकि पारदर्शिता बढ़े और गति आए।
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एकल खिड़की प्रणाली (Single Window System): एक ही स्थान पर सभी अनुमतियाँ प्राप्त हो सकें।
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अधिकारियों की जवाबदेही तय करना।
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प्रशासनिक सुधार: नियमों को सरल और यथासंभव न्यूनतम रखना।
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