छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई कार्रवाई और शराब घोटाले से संबंधित घटनाक्रम ने राज्य की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था को झकझोर दिया है।
🧾 शराब घोटाले का सारांश
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घोटाले की अवधि: 2019 से 2022 तक।
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कुल भ्रष्टाचार राशि: लगभग ₹2,161 करोड़।
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मुख्य आरोपी:
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अनवर ढेबर (कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के भाई)।
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अरुणपति त्रिपाठी (CSMCL के पूर्व प्रबंध निदेशक)।
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अनिल टुटेजा (सेवानिवृत्त IAS अधिकारी)।
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कवासी लखमा (पूर्व आबकारी मंत्री)।
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त्रिलोक सिंह ढिल्लों, नितेश पुरोहित (शराब कारोबारी)।(स्रोत : Live Hindustan, Dainik Bhaskar)
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🔍 ED की जांच और खुलासे
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कवासी लखमा की भूमिका: ईडी के अनुसार, लखमा शराब सिंडिकेट के एक अभिन्न अंग थे और उनके निर्देश पर ही सिंडिकेट काम करता था। उन्हें हर महीने लगभग ₹2 करोड़ की अवैध आय प्राप्त होती थी। (स्रोत : https://mpcg.ndtv.in/)
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नीति में बदलाव: लखमा ने आबकारी नीति में बदलाव कर FL-10A लाइसेंस की शुरुआत की, जिससे विदेशी शराब के व्यापार में कुछ चुनिंदा कंपनियों को लाभ पहुंचाया गया। (स्रोत : Dainik Bhaskar)
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अवैध शराब बिक्री: CSMCL के माध्यम से अवैध शराब की बिक्री की गई, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। (स्रोत : Dainik Bhaskar)
🏛️ कानूनी कार्रवाई और अदालती हस्तक्षेप
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गिरफ्तारी: कवासी लखमा को 15 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया गया और 21 जनवरी तक ईडी की हिरासत में भेजा गया। (स्रोत :https://mpcg.ndtv.in/)
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सुप्रीम कोर्ट का आदेश: सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की जांच पर रोक लगाते हुए अधिकारियों को अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है, जिससे ईडी की आगे की कार्रवाई पर अस्थायी रूप से विराम लगा है। (स्रोत :NDTV India)
🧱 घोटाले के प्रभाव
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राजस्व हानि: राज्य के खजाने को ₹2,100 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ।
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राजनीतिक विवाद: कांग्रेस ने ईडी की कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है, जबकि भाजपा ने इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवश्यक कदम बताया है।
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प्रशासनिक सख्ती: महासमुंद जिले में अवैध शराब जब्ती के बाद तीन अधिकारियों को निलंबित किया गया और छह वरिष्ठ अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। (स्रोत :https://mpcg.ndtv.in/, Navbharat Times)
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