Skip to main content

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का दायरा बढ़ाया जाना

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (महात्मा गांधी नरेगा), 2005, देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से एक ऐसा अधिनियम हैजिसके तहत प्रत्येक वित्तीय वर्ष में हर परिवार को कम से कम सौ दिनों का गारंटीकृत मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराया जाता हैजिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिए स्वेच्छा से तैयार होते हैं।

मंत्रालय ने वन क्षेत्र में प्रत्येक अनुसूचित जनजाति परिवार को (निर्धारित 100 दिनों के अतिरिक्त) 50 दिनों का अतिरिक्त मजदूरी रोजगार प्रदान करने का आदेश दिया हैबशर्ते कि इन परिवारों के पास वन अधिकार अधिनियम (एफआरए), 2006 के तहत प्रदत्त भूमि अधिकारों के अलावा कोई अन्य निजी संपत्ति न हो।

इसके अतिरिक्त सूखा/प्राकृतिक आपदा प्रभावित अधिसूचित ग्रामीण क्षेत्रों में एक वित्तीय वर्ष में 50 दिनों तक का अतिरिक्त मजदूरी रोजगार देने का प्रावधान है।

इसके अलावाअधिनियम की धारा 3(4) के अनुसार राज्य सरकारें अपने स्वयं के कोष से अधिनियम के तहत गारंटीकृत अवधि से परे रोजगार के अतिरिक्त दिन उपलब्ध कराने का प्रावधान कर सकती हैं।

महात्मा गांधी नरेगा के तहत कुल 266 स्वीकृत कार्य किए जा सकते हैंजिनमें से 150 कार्य कृषि और कृषि से संबंधित गतिविधियों और 58 कार्य प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) से संबंधित हैं। इनमें से कुछ स्वीकृत कार्य और उनकी प्रगति निम्नलिखित है:

महात्मा गांधी नरेगा की अनुसूची I, धारा 4(3), पैरा 4(1) के अनुसार,

I. श्रेणी: ए - प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से संबंधित सार्वजनिक कार्य:

(i) भूजल को बढ़ाने और सुधारने के लिए जल संरक्षण और जल संचयन संरचनाएं जैसे भूमिगत बांधमिट्टी के बांधस्टॉप डैमचेक डैम और सरकारी या पंचायत भवनों में छत पर वर्षा जल संचयन संरचनाएंजिसमें पेयजल स्रोतों सहित भूजल को रिचार्ज करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

18 मार्च, 2025 तक योजना के तहत कुल 7.61 लाख जल संरक्षण और जल संचयन कार्य चले हैंजबकि शुरुआत से अब तक 62.89 लाख कार्य पूरे हो चुके हैं। इन कार्यों पर कुल व्यय 1,77,840.09 करोड़ रुपये है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 4.99 लाख जल संरक्षण और जल संचयन कार्य पूरे किए जा चुके हैंजिन पर 17,889.52 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

  1. वनरोपण: सामान्य एवं वन भूमिसड़क के किनारोंनहर के बांधोंतालाब के किनारों और तटीय क्षेत्रों में वृक्षारोपण और बागवानी रोपणजिससे अनुच्छेद-में शामिल परिवारों को विधिवत उपभोग का अधिकार प्राप्त होतथा

II. श्रेणी: बी - कमजोर वर्गों के लिए सामुदायिक संपत्ति या व्यक्तिगत संपत्ति।

(ii) बागवानीरेशम उत्पादनवृक्षारोपण और कृषि वानिकी के माध्यम से आजीविका में सुधार;

18 मार्च, 2025 तक महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत कुल 28.48 लाख वृक्षारोपण चले हैंजबकि योजना की शुरुआत से अब तक 89.24 लाख कार्य पूरे हो चुके हैं। इन कार्यों पर कुल व्यय 72,996.52 करोड़ रुपये है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 7.96 लाख वृक्षारोपण कार्य पूरे किए जा चुके हैंजिन पर 7762.59 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

  1. श्रेणी: डी - ग्रामीण बुनियादी ढांचा

(i) ग्रामीण स्वच्छता संबंधी कार्यजैसे कि व्यक्तिगत घरेलू शौचालयस्कूल शौचालय इकाइयांआंगनवाड़ी शौचालय या तो स्वतंत्र रूप से या अन्य सरकारी विभागों की योजनाओं के साथ अभिसरण में और 'खुले में शौच मुक्तस्थिति प्राप्त करने के लिए स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के साथ सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के निर्माण के लिए अकुशल मजदूरी घटक और निर्धारित मानदंडों के अनुसार ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन स्‍वीकृत गतिविधियां हैं।

18 मार्च, 2025 तक योजना के तहत कुल 1.68 लाख सामुदायिक ग्रामीण स्वच्छता कार्य चले हैंजबकि योजना की शुरुआत से अब तक 66.20 लाख कार्य पूरे हो चुके हैं। इन कार्यों पर कुल व्यय 11,452.32 करोड़ रुपये है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 1.06 लाख सामुदायिक ग्रामीण स्वच्छता कार्य पूरे किए जा चुके हैंजिन पर 768.63 करोड़ रुपये खर्च हुए।

यह जानकारी ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री कमलेश पासवान ने शुक्रवार को राज्य सभा में दी।

Comments

Followers

बासी खबर की ताजगी

छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना

छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण में बड़े पैमाने पर मुआवजा घोटाले का खुलासा हुआ है। इस घोटाले में राजस्व अधिकारियों और भू-माफियाओं की मिलीभगत से सरकारी खजाने को लगभग ₹43 करोड़ का नुकसान हुआ है।( स्त्रोत :  The Rural Press ) घोटाले का तरीका भूमि रिकॉर्ड में हेरफेर : अभनपुर तहसील के नायकबांधा, उरला, भेलवाडीह और टोकनी गांवों में भूमि अधिग्रहण के दौरान, अधिकारियों ने खसरा नंबरों में हेरफेर कर एक ही भूमि को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर दिया। इससे 17 असली भू-स्वामियों की भूमि को 97 हिस्सों में बांटकर 80 नए नाम रिकॉर्ड में जोड़ दिए गए ।(स्त्रोत :  हरिभूमि ) मुआवजा राशि में बढ़ोतरी : इस हेरफेर के परिणामस्वरूप, मुआवजा राशि ₹29.5 करोड़ से बढ़कर ₹78 करोड़ हो गई, जिससे ₹43 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान हुआ ।( स्त्रोत :  The Rural Press ) जांच और कार्रवाई शिकायत और जांच : 8 अगस्त 2022 को कृष्ण कुमार साहू और हेमंत देवांगन ने इस घोटाले की शिकायत की। इसके बाद, रायपुर कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए, जिसमें घोटाले की प...

लालफीताशाही बनाम सुशासन

भारत में लालफीताशाही (Red Tapeism) एक ऐसी प्रशासनिक प्रणाली को दर्शाती है जिसमें सरकारी कार्य अत्यधिक नियमों, प्रक्रियाओं और दस्तावेज़ीकरण की वजह से धीमी गति से होते हैं। यह शब्द आमतौर पर नकारात्मक अर्थ में प्रयोग होता है और इसके कारण नागरिकों, उद्यमियों और कभी-कभी स्वयं अधिकारियों को भी भारी परेशानी होती है। छत्तीसगढ़ प्रदेश में हाल में कई राष्ट्रीय एजेंसियां भ्रष्टाचार के प्रकरणों में अन्वेषण कर रही है, तथाकथित प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों पर लगातार हो रही कार्यवाहियां यह दर्शाता है कि प्रशासनिक नक्सलवाद कई दशकों से छत्तीसगढ़ के सम्पदा का दोहन विधिविरुद्ध तरीके से प्रशासनिक अधिकारी कर रहें है. लालफीताशाही के प्रमुख लक्षण: ब्यूरोक्रेटिक प्रक्रिया की अधिकता: किसी भी कार्य को करने के लिए अनेक स्तरों पर अनुमति लेनी पड़ती है। निर्णय लेने में विलंब: अधिकारी निर्णय लेने से बचते हैं या अत्यधिक दस्तावेज़ मांगते हैं। दस्तावेज़ों की अधिकता: फॉर्म भरने, प्रमाणपत्र देने, अनुमोदन लेने आदि के लिए कई दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है। अधिकारियों का असहयोग: कई बार सरकारी कर्मचारी नागरिकों को...

कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व

  छत्तीसगढ़ में कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के लिए सीएसआर फंडिंग का उद्देश्य निम्नलिखित प्रमुख सामाजिक और विकासात्मक लक्ष्यों की पूर्ति करना है: ✅ 1. सामाजिक विकास और कल्याण: CSR फंडिंग का मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर, वंचित और पिछड़े वर्गों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना है। इसके तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण संबंधी पहल की जाती हैं। ✅ 2. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देना: सरकारी व ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार, स्मार्ट क्लास, छात्रवृत्ति, पुस्तकें और शिक्षण संसाधनों की व्यवस्था की जाती है। ✅ 3. स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: CSR फंडिंग से ग्रामीण अस्पतालों का आधुनिकीकरण, मोबाइल हेल्थ क्लिनिक, टीकाकरण अभियान, मातृ और शिशु स्वास्थ्य, और गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सहायता दी जाती है। ✅ 4. आजीविका और कौशल विकास: ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण (Skill Development), स्वयं सहायता समूह (SHGs) के सशक्तिकरण, और रोजगारपरक कार्यक्रमों का संचालन किया जाता है। ✅ 5. पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग...