Skip to main content

निर्भया फंड

 सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए निर्भया फंड के तहत योजनाएं लागू कीं, निर्भया फंड का करीब 76% हिस्सा इस्तेमाल किया, महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए देश भर में 14,658 से ज़्यादा महिला हेल्प डेस्क स्थापित किए गए 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक सह प्रशिक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित की गईं, 24,264 व्यक्तियों को साइबर संबंधी अपराधों से निपटने का प्रशिक्षण दिया गया वित्त वर्ष 2024-25 तक निर्भया फंड के तहत कुल 7712.85 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मंत्रालयों/विभागों द्वारा जारी और निर्भया फंड से उपयोग की गई कुल राशि 5846.08 करोड़ रुपये है, जो कुल आवंटन का लगभग 76% है।

निर्भया फंड के तहत परियोजनाएं/योजनाएं मांग पर आधारित हैं। निर्भया फंड के फ्रेमवर्क के तहत अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) द्वारा शुरू में मूल्यांकित परियोजनाओं/योजनाओं में आम तौर पर कार्यान्वयन के लिए एक चरणबद्ध कार्यक्रम होता है। कुछ मूल्यांकित परियोजनाएं सीधे केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा कार्यान्वित की जाती हैं। हालांकिअधिकांश परियोजनाएं राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) प्रशासनों के ज़रिए कार्यान्वित की जाती हैंजिसमें केंद्र सरकार, संबंधित राज्यों/यूटी के निर्धारित फंड शेयरिंग पैटर्न के अनुसार राज्यों/यूटी को धनराशि जारी करती है। जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन, राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों की कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा अनुमोदित समयसीमा के अनुसार किया जाता है। इसके अलावाऐसी योजनाएं भी हैंजिनमें लंबे समय तक सेवाएं प्रदान करने के लिए आवर्ती व्यय की ज़रूरत होती हैजिसके संबंध मेंसामान्य वित्तीय नियमों (जीएफआर) के प्रावधानों के अनुसार कार्यान्वयन एजेंसी (आईए)/प्राधिकरण से उपयोग प्रमाण पत्र (यूसी) और व्यय का विवरण (एसओई) प्राप्त होने पर आगे की धनराशि जारी की जाती है। इसलिएयह संभव है कि वास्तव में अधिक धनराशि का उपयोग किया गया होलेकिन जीएफआर के प्रावधानों के अनुसारराज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों/आईए से उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) और व्यय विवरण (एसओई) अभी तक प्राप्त नहीं हुए हों। राज्यों/आईए से नियमित रूप से यूसी और एसओई, समय पर जमा करने का अनुरोध किया जाता है। सक्षम प्राधिकारियों से ज़रुरी अनुमोदन प्राप्त करने में लगने वाला समयअनुबंध/निविदा आदि प्रदान करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया जैसे कई अन्य कारक भी योजनाओं/परियोजनाओं के कार्यान्वयन को प्रभावित करते हैं।

निर्भया फंड के लिए रूपरेखा के तहत गठित अधिकारियों की एक अधिकार प्राप्त समिति (ईसी), शुरूआत में निर्भया फंड के तहत वित्तपोषण के प्रस्तावों का मूल्यांकन करती है और उनकी अनुशंसा करती है। यह संबंधित मंत्रालयों/विभागों/कार्यान्वयन एजेंसियों के साथ समन्वय करके समय-समय पर स्वीकृत परियोजनाओं के कार्यान्वयन और व्यय की स्थिति की व्यापक समीक्षा भी करती है। इसके अलावापरियोजना/योजना कार्यान्वयन मंत्रालय/विभाग/एजेंसियां ​​भी अपने स्तर पर कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करती हैं।

देश में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा 'निर्भया फंडके तहत कई योजनाएं/परियोजनाएं क्रियान्वित की गई हैं/की जा रही हैं। मानव तस्करी की रोकथाम और पीड़ितों को सहायता प्रदान करने के लिए 827 मानव तस्करी विरोधी इकाइयाँ स्थापित की गई हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए, कि पुलिस स्टेशन महिलाओं के लिए अधिक अनुकूल और सुलभ होंक्योंकि वे पुलिस स्टेशन में आने वाली किसी भी महिला के लिए संपर्क का पहला और एकल बिंदु होंगे14,658 महिला सहायता डेस्क (डब्ल्यूएचडीस्थापित किए गए हैंजिनमें से 13,743 का नेतृत्व महिला पुलिस अधिकारी कर रही हैं। 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक सह प्रशिक्षण प्रयोगशालाएँ भी स्थापित की गई हैंजिनमें 24,264 व्यक्तियों को साइबर से संबंधित मामलों को संभालने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एकीकृत सहायता प्रदान करने और महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा से लड़ने के लिए पुलिसचिकित्साकानूनी सहायता, परामर्श और मनोवैज्ञानिक सहायता सहित कई प्रकार की सेवाओं तक तत्कालआपातकालीन और गैर-आपातकालीन पहुंच की सुविधा प्रदान करने के लिए36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 802 ओएससी कार्यात्मक बनाए गए हैंजिनमें अब तक 10.80 लाख से अधिक महिलाओं को मदद दी गई है। जरूरतमंद और संकटग्रस्त महिलाओं की सहायता के लिएसभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस-112) की स्थापना की गई हैजिसमें कंप्यूटर की मदद से क्षेत्र/पुलिस संसाधनों की सहायता शामिल है। इसकी शुरूआत से अब तक 43 करोड़ से अधिक कॉल्स पर काम किया गया है। ईआरएसएस के अलावापश्चिम बंगाल को छोड़कर 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पूरी तरह कार्यात्मक समर्पित महिला हेल्पलाइन (डब्ल्यूएचएल-181) भी चालू है। अब तक महिला हेल्पलाइनों ने 2.10 करोड़ से अधिक कॉल्स को संभाला है और 84.43 लाख से अधिक महिलाओं की मदद की है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि जघन्य यौन अपराधों की पीड़ित दुर्भाग्यपूर्ण महिलाओं और युवा लड़कियों को न्याय मिलेसरकार वर्ष 2019 से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। अब तक 790 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) को मंजूरी दी गई हैजिनमें से 404 विशिष्ट पोक्सो (ई-पोक्सो) अदालतों सहित 745 एफटीएससी, 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यरत हैंजिन्होंने देश भर में बलात्कार और पोक्सो अधिनियम के तहत अपराधों के 3,06,000 से अधिक मामलों का निपटारा किया है। निर्भया फंड के तहत राज्य मुआवजा योजनाओं का समर्थन और अनुपूरण करने के लिएकेंद्रीय पीड़ित मुआवजा कोष (सीवीसीएफ) के तहत राज्य सरकारों/ केंद्र शासित प्रदेशों को एकमुश्त अनुदान के रूप में 200 करोड़ रुपये जारी किए गए, ताकि विभिन्न अपराधों विशेषकर बलात्कारएसिड हमलोंबच्चों के खिलाफ अपराधमानव तस्करी आदि सहित यौन अपराधों के पीड़ितों को मुआवजा दिया जा सके।

सार्वजनिक स्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, जहां महिलाएं काम करती हैं और रहती हैंसुरक्षित शहर परियोजनाओं के तहत उप-परियोजनाएं 8 शहरों (अर्थात अहमदाबादबेंगलुरुचेन्नईदिल्लीहैदराबादकोलकातालखनऊ और मुंबई) में लागू की गई हैं। महिलाओं के लिए सुरक्षित परिवहन सुनिश्चित करने के लिएरेल और सड़क परिवहन परियोजनाएं जैसे एकीकृत आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रबंधन प्रणाली (आईईआरएमएस)कोंकण रेलवे में वीडियो निगरानी प्रणालीकृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित चेहरे की पहचान प्रणाली (एफआरएस) को वीडियो निगरानी प्रणालियों के साथ एकीकृत किया गया हैजिसमें रेल मंत्रालय द्वारा 7 प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर और ट्रेन में अकेली महिला यात्री की सुरक्षा के लिए टैब जैसी सुविधाएं लागू की गई हैं। इसके अलावा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कमांड और कंट्रोल सेंटर के साथ वाहन ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म जैसी परियोजनाएं और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी)बेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (बीएमटीसी)तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम (टीएसआरटीसी) आदि कुछ राज्य विशिष्ट परियोजनाएं भी लागू की गई हैं।

यह जानकारी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।

Comments

Followers

बासी खबर की ताजगी

विभागीय जाँच प्रक्रिया ०१

  विभागीय जाँच प्रक्रिया (Procedure of Department Inquiry) 1. विभागीय जाँच का प्रारम्भ- विभागीय जाँच हेतु जब कोई प्रकरण अनुशासनिक अधिकारी द्वारा तैयार किया जाता है। तब आरम्भिक स्थिति में तीन महत्वपूर्ण घटनाएँ घटित होता है. जो इस प्रकार है-  (1) आरोप पत्र तैयार किया जाना- विभागीय जाँच के प्रारंभ करने की जो प्रथम महत्वपूर्ण कार्यवाही है, वह अनुशासनिक अधिकारी द्वारा, जिस कदाचरण हेतु विभागीय जाँच का निर्णय लिया गया है. आरोप-पदों का तैयार किया जाना है। आरोप पत्र तैयार करना 'सी.जी.सी.एस.सी. सी.ए. नियम के अधीन एक आज्ञापक (Mandatory) कार्यवाही है। इस प्रकार सी.जी.सी.एस.सी.सी.ए. नियम के नियम 14 (3) में अपचारी अधिकारी को एक आरोप पत्र जारी करने का प्रावधान किया गया है, जिसमें मुख्यतया निम्न ब्यौरे होंगे-  (ⅰ) लगाए गए आरोप या आरोपों का विवरण( Discription of Charges ), (in) आरोपों पर अभिकथन ( Statement of Allegations ),  (ii) अभिलेखीय साक्ष्यों की सूची ( List of documentary evidence ),  (iv) साक्षियों की सूची ( List of witnesses )। (2) अपचारी अधिकारी को आरोप पत्र जारी किया ज...

छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना

छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण में बड़े पैमाने पर मुआवजा घोटाले का खुलासा हुआ है। इस घोटाले में राजस्व अधिकारियों और भू-माफियाओं की मिलीभगत से सरकारी खजाने को लगभग ₹43 करोड़ का नुकसान हुआ है।( स्त्रोत :  The Rural Press ) घोटाले का तरीका भूमि रिकॉर्ड में हेरफेर : अभनपुर तहसील के नायकबांधा, उरला, भेलवाडीह और टोकनी गांवों में भूमि अधिग्रहण के दौरान, अधिकारियों ने खसरा नंबरों में हेरफेर कर एक ही भूमि को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर दिया। इससे 17 असली भू-स्वामियों की भूमि को 97 हिस्सों में बांटकर 80 नए नाम रिकॉर्ड में जोड़ दिए गए ।(स्त्रोत :  हरिभूमि ) मुआवजा राशि में बढ़ोतरी : इस हेरफेर के परिणामस्वरूप, मुआवजा राशि ₹29.5 करोड़ से बढ़कर ₹78 करोड़ हो गई, जिससे ₹43 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान हुआ ।( स्त्रोत :  The Rural Press ) जांच और कार्रवाई शिकायत और जांच : 8 अगस्त 2022 को कृष्ण कुमार साहू और हेमंत देवांगन ने इस घोटाले की शिकायत की। इसके बाद, रायपुर कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए, जिसमें घोटाले की प...

लालफीताशाही बनाम सुशासन

भारत में लालफीताशाही (Red Tapeism) एक ऐसी प्रशासनिक प्रणाली को दर्शाती है जिसमें सरकारी कार्य अत्यधिक नियमों, प्रक्रियाओं और दस्तावेज़ीकरण की वजह से धीमी गति से होते हैं। यह शब्द आमतौर पर नकारात्मक अर्थ में प्रयोग होता है और इसके कारण नागरिकों, उद्यमियों और कभी-कभी स्वयं अधिकारियों को भी भारी परेशानी होती है। छत्तीसगढ़ प्रदेश में हाल में कई राष्ट्रीय एजेंसियां भ्रष्टाचार के प्रकरणों में अन्वेषण कर रही है, तथाकथित प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों पर लगातार हो रही कार्यवाहियां यह दर्शाता है कि प्रशासनिक नक्सलवाद कई दशकों से छत्तीसगढ़ के सम्पदा का दोहन विधिविरुद्ध तरीके से प्रशासनिक अधिकारी कर रहें है. लालफीताशाही के प्रमुख लक्षण: ब्यूरोक्रेटिक प्रक्रिया की अधिकता: किसी भी कार्य को करने के लिए अनेक स्तरों पर अनुमति लेनी पड़ती है। निर्णय लेने में विलंब: अधिकारी निर्णय लेने से बचते हैं या अत्यधिक दस्तावेज़ मांगते हैं। दस्तावेज़ों की अधिकता: फॉर्म भरने, प्रमाणपत्र देने, अनुमोदन लेने आदि के लिए कई दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है। अधिकारियों का असहयोग: कई बार सरकारी कर्मचारी नागरिकों को...